चाहौ तौ धर्ती कैहाँ स्वर्ग बनाय देव

                                                                                       –  अयोध्या प्रसाद श्रीवास्तव

                                                     चाहौ तौ धर्ती कैहाँ स्वर्ग बनाय देव

                                                                                          –  अयोध्या प्रसाद श्रीवास्तव

धर्ती पर मनई  बुद्धिमान परानी है, बाकी जीवजन्तु तौ जीवन जगत कैहाँ सन्तुलित राखै के खातिर दुनिया केर जरुरत होंय।  मतलब यु कि पहाड , नदी, वृक्ष , वनस्पति,  ताल ,समुन्दुर औ कीरा पतिन्गा से लै कै हाथी तक जौन कुछ देखात है, सबकै जरुरत है।  लकिन आदमी चाहै तौ इ धर्ती पर सरग नरक बनाय सकत है, काहे से वही के तीर तौ बुद्धि है औ काम करैक लायक हाथौ पाँव है ।  तौ धर्ती कैहाँ सरग बनावैवाली सबसे बडी चीज बुधिन होय। औ जौ बुद्धि बडिहा बडिहा बात सोचै तौ हाथ पाँव तौ नीक काम करबै करिहैं।

         दइउ  मनई के देही से लैकै ई दुनियम जौन कुछ देखात है, अस बनाइन हैं कि सब एक दोसरे  कैहाँ कुछ नकुछ देतै  हैं , औ दोसरे से कुछु पायके तब जिन्दा रहत हैं, औ बाढत मोटात, फरत फूलत हैं। लकिन अब्बै कोइ अपने तिरकै चीज दोसरे कैहाँ नदेय तौ  उ जौन औरेसे पावत् रहै वहव रुकी जाई  औ देन लेन ठप्प होतै खन सब कै नास होइ जाई।  ई मारे सब एक दोसरे कैहाँ देय वाली चीज खुलिकै देयं, बेइमानी न करें , औ ई बात हर घरी मन बुद्धि मैहाँ आवत रहै, औ बनी रहै , बस अतनै काम करैक है।  औ ई काम बडिहा  से तब होइ पाई जब मनई के भित्तर इकै बिया परा होई।

       वैसै तौ ई कहा जात है कि मनई जब पैदा होत है तब से जिन्दगी भर कुछ न कुछ सिखा करत है , ई बात वैसै गलत तौ नाई है  लकिन ऋषि मुनि हजारन साल  पहिले ई पता लगाइन रहें कि महतारी के पेटम जब गरभ दुइ  महिना केर होय लागत है  तबसे  बच्चा सुने गुनै लागत है।  यही मारे हिन्दुवन मैहाँ सोरह संस्कार बने हैं जीमा गर्भाधान, पुन्सवन औ सॆमान्तोनयन तौ  गर्भ से पहिले औ गरभ के समय मैहाँ कीन जात है। कलजुग मैहा  गायत्री सिद्ध करै वाले रिसी हरिद्वार मैहाँ पण्डित श्रीराम शर्मा जी भए है।  उनहू यहै बात लिखिन है कि बच्चा कैहाँ गर्भै से बडिहा औ होनहार बनाव तब दुनिया सरग बनी।  जघा जघा देखौ गायत्री वाले यही कामेम लागत जात हैं। 

      अभिमन्यु चक्रव्यूह तूरैक गरभैम सिखिस रहै ।  नेपोलियन, सिकन्दर औ विवेकानन्दौक जीवनी मैहन कुछ ऐसै  बात है।  अब तौ  विग्यानौ यु बात साबित कै दिहिस है कि गरभ के बच्चा केर भेजा दुइ महिनम बनै लागत है औ तीन महिना से उकै महतारी जौन कुछ सुनत समझत है, औ उके चौमंडल जस माहौल राहत है, उके पर जस प्रभाव औ व्यवहार होत है बच्चा वहै बनिकै जलमत  है। बिग्यानिक लोग जब इ देखिन कि हिन्दुवन के मेहरुवन केर पेट जब तीन महिना केर होइ जात है तब पुन्सवन संस्कार करावत हैं जीमा  खुब बडिहा बडिहा बात सुनावा बतावा जात है औ खुब हंसी खुसी रहैक कहा जात है औ अङ्ग्र्जेवनौ के हियाँ कुछ ऐसहिन मिलत जुलत चलन है जीमा पार्टी देत हैं औ नाच गान होत है ।  इका  बेबी सावर कहत हैं , तौ इमा कौनौ भित्री मामिला तौ नाइ है भला ? इकै जांच करैक परा। 

    तब गर्भवती कुछ मेहरुवन कैहाँ खुब हंसी  खुसी के जघा पर राखिन औ उनका खुब खुस राखिन खुब हँसाइन। औ अल्ट्रा साउण्ड किहिन तब पेटेकेर बच्चा खुब खुश औ हंसत लोटत देखान । लकिन जब उइ मेहरुवन कैहाँ झगडा बवालबट्टा  के जघा पर राखिन , या कौनौ दुखवाली बात मैहाँ सामिल रहैक परा तब जब अल्ट्रासाउण्ड भा तौ पेटेक बच्चा  बडा दुखी औ हैरान देखाई परा ।  तब इ बात साबित भा कि गरभ केर पूजा कौनौ टिटकर्मा ना होय , इ तौ सन्तान केरे दिमाक मैहाँ बिया बोवै केर तरीका होय । अब उनहू सब कहै लागे हैं कि एक सन्तान के पाछे गरभ केर नौ महिना औ लालन पालन मैहन पांच वर्ष, औ खराब रास्ता  पर चलैक बचावै खातिर डाण्ट, डपट डेरुवावैक पांच वर्स, सब मिलायके गेरा बर्स  जरूर चौकसी करैक चाही तब जायके सन्तान बडिहा बनय केर आस होइ सकत है।  शास्त्र कहत है कि सुकदेव मुनि गेरा बर्स पेटम रहें, इकै मतलब साफ है कि उनका बनावैम महतारी बाप  यही मेर गेरा बर्स मेहनेत किहिन रहें । तब उइ पैदा होतै जंगल चले गे रहै, माने एक बर्स पेटम औ दस बर्स घरे अनुशासन सिखिकै जंगल गए रहै।  

       इ सब झुठै बनाए गए किस्सा ना होंय।  तनी सजावटी भासा मैहाँ लिखा भर गा  है। बात कहैम सहज बनावा गा है। गेरा बर्स मैहा उइ अतना बहुत कुछ जानिगे रहै , औ विद्वान होइगे रहें वही कैहाँ कहिन कि गेरा बर्स पेटेम रहें।

  मतलब यु है कि गरभ मैहाँ बच्चा पर जस असर होइ, वहै  आगे केर करमन केर बिया होय।  वहै आगे चलिकै बाढी।  तब तौ गरभ केर जौ बडिहा  हिफाजत कै मिलै तौ  बच्चा बडिहा  मन बुद्धि केर होई औ जौ खराब माहौल मैहाँ महतारी कैहाँ रहैक परा तौ, तौ सन्तान केर मन बुद्धि केर वतनी बडिहा  होयक आसा नकरै . ई बात अब बिलकुल साबित होइ गा है। 

  तौ जब देखा जात है कि दुनिया मैहा लूट खसोट मची है, सबका अपनै  भला सुझात है, औ यही मारे लडाई झगडा, गोला, बारुद, मिसाइल औ बम तक गिरत है , दुनियम  सबकोई  सबकै दुस्मन है औ बनत जात है। दुनिया नरक से बेभत्तर होत जात है।   कोइ कैहाँ कोइ पर भरोसा नाय रहिगा है। ऐसै रही तौ इ दुनिया केर कब् नास होइ जाय कुछ कहा नाय जाय सकत है।  इकै सोंच तौ सबका है जरूर लकिन जरि पकरि के दवाई करैक सोंच नाइँ बनि पावत है।  चिन्ता केर बात यहै है कि डेराइत हम सब कोइ हन औ दवाई अपनेन तिर है ,मने  दवाई हेंरै, समझैँ औ करै के  खातिर अगुवात कोइ नाइँ है।

   अतनी बडी आफत केर एक्कै छोट मोट  दवा यहै  है कि जउने मेहारु कैहाँ गरभ होय उका बहुत हाँसी खुसी के जघा पर राखौ, उनसे  बडिहा  बात करौ, बडिहा  खायक  देव , उनका   नीक चीज देखाव , बौद्धिक बिकास, देहिक बिकास जस बात बताव औ वही मेर के कामेम लगाव ,  काम करुवाव।  ज्ञानी सन्तान चाही तौ ग्यान केर जघा औ सत्संग मैहा राखौ, जोधा चाहौ तौ हथियार सिखाव, यहि मेर जस चाहौ वही मेर के माहौल मैहा राखौ। 

     हम तौ यहौ कहैक चाहित है कि ई सब काम संगठनिक  औ संसथागत  हिसाब से होयक चाही इ काम मैहा सरकार औ समाज सबकै  सहजोग होई तबहिन काम बनि सकत है। स्कूलन मैहाँ  खाली टेम निकारी के गरभवती मेहरुन केर  पढाई औ तालीम सरकार अनिवार्य कै देय।  टैम टेबुल औ बिसय बनय।  वहेमेर केर मास्टर राखे जायं। 

              ई काम पर जौ गांव बस्ती वाले बिचार कै लेंय औ सरकार इप्पर जु लगाय के सोंच के अपने हाथेम लैकै वही मेर सिच्छा दिच्छा  औ वातावरन कै कै  मेहरुवन कैहाँ हिफाजत से राखै औ मातृ सिच्छा औ बाल सिच्छा एकडल कै देय  तौ जतनी सन्तान पैदा होइहै, एक तौ उइ तन्दुरुस्त औ सुरच्छित रहिहै, औ दोसर बात कि इउ घर गांव सहर बस्ती केर बात नाई है, इससे तौ दुनिया  भरेम सान्ति सुरच्छा औ बडिहा व्यवस्था बनि जाई।  मनई मनई मेर होइ जाई , बुद्धि बडिहा काम मैहा लागै लागी। एक दोसरे से माया मोहब्बत बाढी, दया , सील , सभ्यता , बनी , लुटै, पिटै, नोचै, खाय, आपन भला तौ भला वाली बात खतम होय लागी, सांच पूँछौ तौ  मनई देउता मेर होइ जाई औ तब  यहै दुनिया सरग मेर होइ जाई । 

             मनई के जु मा  जागत सोवत हर घरी तौ डेर भरा रहत है।   चहै कोइ महल मैहा होय औ चहै झोपडी मैहा, चहै कोइ जंगल मैहा अकेलै है तौ औ चहै कोइ पुलिस औ बन्दूक के बिच्चे मैहा रहत है , सांच बात इउ है कि कोइ सुरच्छित नाइँ है , औ जतनेजने बड्कये मारे गए हैं, भला कोइ ऐसौ रहै कि जिके गारद न होय।  तब भला कौन बात है ? इकई बात यहै है हि मनई जलमै से बडिहा मन औ बुद्धि लैकै पैदा  नाय होत है तब उका पाछे कैहाँ जौन पढैहौ लिखैहौ उ सब भूसी पर लिपै मेर होइ।  उ ग्यान केर जरी मजबूत न रही तौ चहै कौनौ बयार चली बस बिरवा भर्राय जाई।  इके खातिर तौ संयुक्त रास्ट्र संघ औ युनिसेफ मेर  संस्था हैं , सब अब्बई लागि परै तो दुनिया केर सुधार होयम बहुत कर्री बात नाइँ है।  कर्री बात खालि अतनी है कि यु मनई केर जात जिकि  पैदाइस औ रहन सहन सब बिगरा है, तब  यहै मनई भला आदमी बनैक चाहत है कि नाई,   ?  काहे से आदमी अपन गलती तौ देख्त नाइँ है , दोसरेन कैहाँ  दोख देत है।  इमारे  बहुतेरे तौ सोचिहै कि परोस वाले औ गांव बस्ती के और जने पहिले सोझ मनई बनै , हम तौ निक हैयय हन।  बस अतनेन से   बिगार है। आदमी अब्बै अपने पर   बात धैकै  खाली आपन सुधार , आपन अच्छाई , आपन इमानदारी  , दया , सेवा मोहब्बत ,मान सम्मान औ इज्जत प्रतिष्ठा पर लागि जाय, माने खाली आपन नेकी बदी  सम्हारैक  अपनै सोचि लेय , बस काम होइ जाय। 

   ई मारे   बाल बालिकन केर पैदाइस औ गरभवती  मेहरुवन केर  सिच्छा दिच्छा , रहन सहन केर सुन्दर सान्त व्यवस्था  बनावैक परी।  सन्तान नीक  होई तौ संसार  नीक होइ जाई।  इमा जिस्से जतना होइ पावे वतना काम जरूर कीन जाय। 

           ( लेखक पूर्ब प्रशासन केर अधिकारी , प्राध्यापक औ वकील होंय  ayodhya.p.shrivastav@gmail,com  )